Sunday, April 29, 2012

पहाड़ का  पानी और  जवानी  दोनों ही यहाँ  के काम नहीं आ रहे हैं, आखिर अभी से इन पहाडो में पानी की घोर कमी क्यों होने लग गयी है,पूरे भारत को सीचने वाली यहाँ   की नदियाँ यही के लोगों की प्यास नहीं बुझा पा रही है, आखिर क्यों,अगर देखा जाये तो हम लोग भी कम दोषी नहीं हैं इन सबके लिए
हमारे पास कोई ठोस नीतिया है ही नहीं आखिर पूरे के पूरे पहाड़ों में पानी की समस्या अभी से विकराल रूप लेने लग गयी है,कुछ इसी प्रकार की समस्या यहाँ की जवानी के साथ भी दिखाई पड़ती है, पहाड़ो से पलायन करते नौजवान आने वाले किसी गंभीर संकट को बया करते हैं .कई मूलभूत  आवस्यक्ताओं   से महरूम   है आज भी हमारे पहाड़ के लोग,जरुरत है पहाड़ के नौजवानूं की पीड़ा को समझने की तभी पहाड़ सही मायनों में पहाड़ कहलायेगा..........

हेमन्त कुमार बिनवाल
लोहाघाट
 

Friday, April 27, 2012

वर्तमान में उत्तराखंड एक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है. राज्य की राजनीतिक  अस्थिरता से समूचे राज्य में एक उबाल सा है . ऐसे में जब हमारे नीति नियंता सोये हुए हैं .वर्तमान में राज्य में शिक्षा वयवस्था लड़खड़ाई हुई है,जहां एक ओर राज्य में अनेकों विद्यालयों  में ज्यादा अध्यापक हैं, वही  दूसरी ओर कई विद्यालयों  में अध्यापक  ही नहीं है,जो मन में आये पहले वो घोस कर दी जाती है बाद में चुनाऊ जीतने के बाद सब भुला दिया जाता है आखिर क्यों. वर्तमान में उत्तराखंड के हालत  क्या  सही  है जरा सोचिये  महानुभाव ,थोडा  राजनीती से ऊपर उठकर देखिये तो आखिर केसे हालातो में आप जीत  कर आये है आप लोग इस समाज को ही भुलाने में ही लगे है याद करिए अपने कर्ताव्यौं को और तबी आप समाज की सची सेवा कर पाएंगे.

Sunday, February 12, 2012

Friday, February 10, 2012

Thursday, February 2, 2012

WAAH री सरकार

WAAH री सरकार उत्तराखंड में चुनाव तो निपटा लिए,चुनावों के निपटते ही दिखा दी अपनी ..............ABHI  तो सरकार भी नहीं बन PAAYI ,CHUNAAWO  के NATEEJE  भी नहीं AA  पाए.
ROADWAYS  ने अपनी बसों में किराया बहुत ज्यादा ही बड़ा दिया,सरकारी आकड़ो में तो ४० % ही बढने की  बात  है  परन्तु   कही कही इससे   भी ज्यादा किराया बड़ा दिया गया ,वह  री सरकार,किराया बाद जाने से आम इंसान  काफी परेशान है,महगाई की मार  ,जेब पर भारी पड़ रही  है, KHIR AAGE DEKHNA YAH HOGA की आने WAALE समय में KIN KIN AUR CHEEJO के DAAM BADAYE JAA SAKTE है ,थोड़े दिनों बाद RASHION की DUKANOO में लगने वाली लाइन भी KAM हो JAYEGI,डीजल , पेट्रोल के DAAM भी पता नहीं कितने % तक बड़ते है , YAH तो आने वाला समय ही बता पायेगा  आखिर चुनावू के बाद KYU हमारे देश में हर RAJYA की YAHI DASHA HOTI है ,आम जनता को ही KYU NISHANA BANAYA JAATA है ............PHIR SOCHNA आम जनता को ही ही,क्योकि जेब तो उसी की ढीली होही,उन मंनीयौं का क्या ही वो तो पहले ही करोर्पति THE  AB  ५ सालबाद अरबपति बन जायेंगे .GAREEB   तो AUR   GAREEB   बन जायेगा 

Wednesday, February 1, 2012

किस काम का ...........................................................

बड़े फक्र के साथ कहा जाता है की भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है,बड़ा है तो सबको रोजी.रोटी मिलनी चाहिए थी , मगर ऐसा नहीं हो सका है,तो लोकतंत्र का महिमा मंडन , गुणगान जनता के साथ फरेब है ऐसा लोकतंत्र हमारे  किस  काम का ...........................................................

Saturday, January 21, 2012

ठण्ड ने

  ठण्ड ने तो पूरे पहाड़ में तबाही मचा दी है,सारा जन जीवन अस्त वय्स्त्य  है,घर से बाहर निकलना  मुस्किल हो रहा है,.
 

मुहब्बत

मुहब्बत  करना न करना अलग बात है 
ढंग से  बात तो कर   लिया   करो अब 
                                                    हेमन्त कुमार बिनवाल






आदमी

सुबह  से  लेकर  शाम तक  व्यस्तय आदमी , अपनी    ही  मस्ती  में   मस्त  आदमी - 
हेमन्त कुमार बिनवाल

ठण्ड में चुनाव

पहाड़ में आजकल काफी ठंडा हो रहा है,बहुत  ज्यादा पाला पढ़  रहा है,बर्फ कही कही तो गिर चुकी है,लेकिन अधिकतर जगह सिर्फ कोरी ठण्ड पढ़ रही है,शायद बर्फ गिर सकती है,मौसम बड़ा ही सुहाना है,
हाड  कपाती  ठण्ड ने पूरा जीवन अस्त वयस्त  कर दिया है
साथ ही राज्य में चुनाव भी होने वाले है
इस ठण्ड में तो चुनाव भी गर्मी नहीं ला पा रहें है,लोग अपने अपने घरौं में दुबके पड़े है,सभी लोग.घरौं के अन्दर बैठ कर मूंगफली ,गुद्पत्तियां,भट्ट,गुढ़,खाने में वस्त्य है,
भला हो चुनाव आयोग का जो चुनाव  जेसा लग ही नहीं रहा ,पहले से बहुत ही शांति है अब चुनाव में,प्रत्याशी फिर भी अपनी अपनी तरफ से लगे हुए है,केसे हम ही जीत जाईं सोचने में,सब कुछ करने को  तैयार ,लेकिन एक बात जो मुझे अच्छी नहीं लग रही वो ये की प्रचार के दौरान प्रत्याशी देशभक्ति गीतों का प्रयोग जम कर कर रहे है,ऐसा नहीं करना चाहिए  ,चुनावों का इन गीतों से क्या मतलब,


शेष फिर बताऊंगा

हेमन्त कुमार बिनवाल
पहाड़ में आजकल काफी ठंडा हो रहा है,बहुत  ज्यादा पाला पढ़  रहा है,बर्फ कही कही तो गिर चुकी है,लेकिन अधिकतर जगह सिर्फ कोरी ठण्ड पढ़ रही है,शायद बर्फ गिर सकती है,मौसम बड़ा ही सुहाना है,
हाड  कपाती  ठण्ड ने पूरा जीवन अस्त वयस्त  कर दिया है
साथ ही राज्य में चुनाव भी होने वाले है
इस ठण्ड में तो चुनाव भी गर्मी नहीं ला पा रहें है,लोग अपने अपने घरौं में दुबके पड़े है,सभी लोग.घरौं के अन्दर बैठ कर मूंगफली ,गुद्पत्तियां,भट्ट,गुढ़,खाने में वस्त्य है,
भला हो चुनाव आयोग का जो चुनाव  जेसा लग ही नहीं रहा ,पहले से बहुत ही शांति है अब चुनाव में,प्रत्याशी फिर भी अपनी अपनी तरफ से लगे हुए है,केसे हम ही जीत जाईं सोचने में,सब कुछ करने को  तैयार ,लेकिन एक बात जो मुझे अच्छी नहीं लग रही वो ये की प्रचार के दौरान प्रत्याशी देशभक्ति गीतों का प्रयोग जम कर कर रहे है,ऐसा नहीं करना चाहिए  ,चुनावों का इन गीतों से क्या मतलब,


शेष फिर बताऊंगा
हेमन्त कुमार बिनवाल

तकलीफें

तकलीफें  यू ही बढती रही ज़माने में
तुम याद आये बहुत हमको भुलाने में, 

हेमन्त कुमार बिनवाल

Monday, January 9, 2012

वक्त की आंधी सब होशयारी उड़ा ले   गयी ,
वरना हर कोई होशियार यही बैठा था. - हेमन्त बिनवाल




Thursday, January 5, 2012

मधुमक्खी


मधुमक्खी कीट वर्ग का प्राणी है. मधुमक्खी से मधु प्राप्त होता है जो अत्यन्त पौष्टिक भोजन है. यह संघ बनाकर रहती हैं. प्रत्येक संघ में एक रानी, कई सौ नर और शेष श्रमिक होते हैं. मधुमक्खियाँ छत्ते बनाकर रहती हैं. इनका यह घोसला (छत्ता) मोम से बनता है. इसके वंश एपिस में 7 जातियां एवं 44 उपजातियां हैं.
शहद को प्राचीन काल से ही विभिन्न धर्मों में उच्च मान्यता मिली हुई है। हिन्दु धर्म में भगवान विष्णु को कमल के फूल पर मधुमक्खी के रूप में विश्राम करते हुए दिखाया गया है। ३००० - २००० ईसा पूर्व के बीच में संकलन किये गएऋगवेद में भी शहद तथा मधुमक्खियों के बारे में बहुत से सन्दर्भ मिलते हैं। शहद हिन्दू धर्म के बहुत से धार्मिक कृत्यों तथा समारोहों में प्रयोग होता है। प्राचीन यूनानी सभ्यता में भी शहद को बहुत मूल्यवान आहार तथा भगवान की देन माना जाता था। यूनानी देवताओं को अमरत्व प्राप्त था जिसका कारण उनके द्वारा किया गया ऐम्ब्रोसिआ सेवन बताया गया था, जिसमें शहद एक प्रमुख भाग होता था। अरस्तु की पुस्तक नेचुरल हिस्टरी में भी शहद पर बहुत से प्रत्यक्ष प्रेक्षण उपलब्ध हैं। उसका विश्वास था कि शहद में जीवन वृद्धि तथा शरीर हृष्ट-पुष्ट रखने के लिए आसाधारण गुण होते हैं। इस्लाम के पवित्र ग्रन्थ कुरान के सूरा-१६ अन-नह्ल के अनुसार शहद सभी बीमारियों को निदान करता है। यहूदी धर्म में भी शहद को आहार या हनी बनाने में प्रयोग किया जाता है। संसार के लगभग सभी धर्मो ने शहद की अनूठी गुणवत्ता की प्रशंसा की है।[1]