Saturday, January 21, 2012

ठण्ड ने

  ठण्ड ने तो पूरे पहाड़ में तबाही मचा दी है,सारा जन जीवन अस्त वय्स्त्य  है,घर से बाहर निकलना  मुस्किल हो रहा है,.
 

मुहब्बत

मुहब्बत  करना न करना अलग बात है 
ढंग से  बात तो कर   लिया   करो अब 
                                                    हेमन्त कुमार बिनवाल






आदमी

सुबह  से  लेकर  शाम तक  व्यस्तय आदमी , अपनी    ही  मस्ती  में   मस्त  आदमी - 
हेमन्त कुमार बिनवाल

ठण्ड में चुनाव

पहाड़ में आजकल काफी ठंडा हो रहा है,बहुत  ज्यादा पाला पढ़  रहा है,बर्फ कही कही तो गिर चुकी है,लेकिन अधिकतर जगह सिर्फ कोरी ठण्ड पढ़ रही है,शायद बर्फ गिर सकती है,मौसम बड़ा ही सुहाना है,
हाड  कपाती  ठण्ड ने पूरा जीवन अस्त वयस्त  कर दिया है
साथ ही राज्य में चुनाव भी होने वाले है
इस ठण्ड में तो चुनाव भी गर्मी नहीं ला पा रहें है,लोग अपने अपने घरौं में दुबके पड़े है,सभी लोग.घरौं के अन्दर बैठ कर मूंगफली ,गुद्पत्तियां,भट्ट,गुढ़,खाने में वस्त्य है,
भला हो चुनाव आयोग का जो चुनाव  जेसा लग ही नहीं रहा ,पहले से बहुत ही शांति है अब चुनाव में,प्रत्याशी फिर भी अपनी अपनी तरफ से लगे हुए है,केसे हम ही जीत जाईं सोचने में,सब कुछ करने को  तैयार ,लेकिन एक बात जो मुझे अच्छी नहीं लग रही वो ये की प्रचार के दौरान प्रत्याशी देशभक्ति गीतों का प्रयोग जम कर कर रहे है,ऐसा नहीं करना चाहिए  ,चुनावों का इन गीतों से क्या मतलब,


शेष फिर बताऊंगा

हेमन्त कुमार बिनवाल
पहाड़ में आजकल काफी ठंडा हो रहा है,बहुत  ज्यादा पाला पढ़  रहा है,बर्फ कही कही तो गिर चुकी है,लेकिन अधिकतर जगह सिर्फ कोरी ठण्ड पढ़ रही है,शायद बर्फ गिर सकती है,मौसम बड़ा ही सुहाना है,
हाड  कपाती  ठण्ड ने पूरा जीवन अस्त वयस्त  कर दिया है
साथ ही राज्य में चुनाव भी होने वाले है
इस ठण्ड में तो चुनाव भी गर्मी नहीं ला पा रहें है,लोग अपने अपने घरौं में दुबके पड़े है,सभी लोग.घरौं के अन्दर बैठ कर मूंगफली ,गुद्पत्तियां,भट्ट,गुढ़,खाने में वस्त्य है,
भला हो चुनाव आयोग का जो चुनाव  जेसा लग ही नहीं रहा ,पहले से बहुत ही शांति है अब चुनाव में,प्रत्याशी फिर भी अपनी अपनी तरफ से लगे हुए है,केसे हम ही जीत जाईं सोचने में,सब कुछ करने को  तैयार ,लेकिन एक बात जो मुझे अच्छी नहीं लग रही वो ये की प्रचार के दौरान प्रत्याशी देशभक्ति गीतों का प्रयोग जम कर कर रहे है,ऐसा नहीं करना चाहिए  ,चुनावों का इन गीतों से क्या मतलब,


शेष फिर बताऊंगा
हेमन्त कुमार बिनवाल

तकलीफें

तकलीफें  यू ही बढती रही ज़माने में
तुम याद आये बहुत हमको भुलाने में, 

हेमन्त कुमार बिनवाल

Monday, January 9, 2012

वक्त की आंधी सब होशयारी उड़ा ले   गयी ,
वरना हर कोई होशियार यही बैठा था. - हेमन्त बिनवाल




Thursday, January 5, 2012

मधुमक्खी


मधुमक्खी कीट वर्ग का प्राणी है. मधुमक्खी से मधु प्राप्त होता है जो अत्यन्त पौष्टिक भोजन है. यह संघ बनाकर रहती हैं. प्रत्येक संघ में एक रानी, कई सौ नर और शेष श्रमिक होते हैं. मधुमक्खियाँ छत्ते बनाकर रहती हैं. इनका यह घोसला (छत्ता) मोम से बनता है. इसके वंश एपिस में 7 जातियां एवं 44 उपजातियां हैं.
शहद को प्राचीन काल से ही विभिन्न धर्मों में उच्च मान्यता मिली हुई है। हिन्दु धर्म में भगवान विष्णु को कमल के फूल पर मधुमक्खी के रूप में विश्राम करते हुए दिखाया गया है। ३००० - २००० ईसा पूर्व के बीच में संकलन किये गएऋगवेद में भी शहद तथा मधुमक्खियों के बारे में बहुत से सन्दर्भ मिलते हैं। शहद हिन्दू धर्म के बहुत से धार्मिक कृत्यों तथा समारोहों में प्रयोग होता है। प्राचीन यूनानी सभ्यता में भी शहद को बहुत मूल्यवान आहार तथा भगवान की देन माना जाता था। यूनानी देवताओं को अमरत्व प्राप्त था जिसका कारण उनके द्वारा किया गया ऐम्ब्रोसिआ सेवन बताया गया था, जिसमें शहद एक प्रमुख भाग होता था। अरस्तु की पुस्तक नेचुरल हिस्टरी में भी शहद पर बहुत से प्रत्यक्ष प्रेक्षण उपलब्ध हैं। उसका विश्वास था कि शहद में जीवन वृद्धि तथा शरीर हृष्ट-पुष्ट रखने के लिए आसाधारण गुण होते हैं। इस्लाम के पवित्र ग्रन्थ कुरान के सूरा-१६ अन-नह्ल के अनुसार शहद सभी बीमारियों को निदान करता है। यहूदी धर्म में भी शहद को आहार या हनी बनाने में प्रयोग किया जाता है। संसार के लगभग सभी धर्मो ने शहद की अनूठी गुणवत्ता की प्रशंसा की है।[1]