Thursday, January 5, 2012

मधुमक्खी


मधुमक्खी कीट वर्ग का प्राणी है. मधुमक्खी से मधु प्राप्त होता है जो अत्यन्त पौष्टिक भोजन है. यह संघ बनाकर रहती हैं. प्रत्येक संघ में एक रानी, कई सौ नर और शेष श्रमिक होते हैं. मधुमक्खियाँ छत्ते बनाकर रहती हैं. इनका यह घोसला (छत्ता) मोम से बनता है. इसके वंश एपिस में 7 जातियां एवं 44 उपजातियां हैं.
शहद को प्राचीन काल से ही विभिन्न धर्मों में उच्च मान्यता मिली हुई है। हिन्दु धर्म में भगवान विष्णु को कमल के फूल पर मधुमक्खी के रूप में विश्राम करते हुए दिखाया गया है। ३००० - २००० ईसा पूर्व के बीच में संकलन किये गएऋगवेद में भी शहद तथा मधुमक्खियों के बारे में बहुत से सन्दर्भ मिलते हैं। शहद हिन्दू धर्म के बहुत से धार्मिक कृत्यों तथा समारोहों में प्रयोग होता है। प्राचीन यूनानी सभ्यता में भी शहद को बहुत मूल्यवान आहार तथा भगवान की देन माना जाता था। यूनानी देवताओं को अमरत्व प्राप्त था जिसका कारण उनके द्वारा किया गया ऐम्ब्रोसिआ सेवन बताया गया था, जिसमें शहद एक प्रमुख भाग होता था। अरस्तु की पुस्तक नेचुरल हिस्टरी में भी शहद पर बहुत से प्रत्यक्ष प्रेक्षण उपलब्ध हैं। उसका विश्वास था कि शहद में जीवन वृद्धि तथा शरीर हृष्ट-पुष्ट रखने के लिए आसाधारण गुण होते हैं। इस्लाम के पवित्र ग्रन्थ कुरान के सूरा-१६ अन-नह्ल के अनुसार शहद सभी बीमारियों को निदान करता है। यहूदी धर्म में भी शहद को आहार या हनी बनाने में प्रयोग किया जाता है। संसार के लगभग सभी धर्मो ने शहद की अनूठी गुणवत्ता की प्रशंसा की है।[1]

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