Saturday, November 5, 2011

कभी लगता है

भरोसा भी क्या चीज हैं । कभी लगता है यह सबसे कमजोर कड़ी है और कभी लगता हैं, दुनिय...ा कि बुनियाद इसी पर टिकी हुई हैं। जरा सी बात में भरोसा टूट जाता है तो कभी यही भरोसा दुनिया चलाता हैं। पिछले दिनों किसी मशहूर कवि की यह चन्द पक्तिंया हाथ आ गई, तो लगा कि इसे सबमें बाट दू। खास तौर पर यह पक्तिंया उन लोगो के लिये ज्यादा मौजू है, जो बात बात में कहते है कि मैं किसी पर भरोसा नहीं करता।
भरोसा ......
आज भी मौजू़द है दुनिया में
नमक की तरह ,
अब भी
पेड़ों के भरोसे पक्षी
सब कुछ छोड़ जाते हैं,
बसंत के भरोसे वृक्ष
बिलकुल रीत जाते हैं,
पतवारों के भरोसे नाव

समुद्र लांघ जाती हैं,
बरसात के भरोसे बीज
धरती में समा जाते हैं,
अन्जान पुरुष के पीछे
सदा के लिये स्त्री चल देती हैं।

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